Titanic Ship Video : जो डूब गया था सालों पहले उसे फिर से किया गया याद, Social Media पर वीडियो देख लोग हुए भावुक
- By Sheena --
- Tuesday, 21 Feb, 2023
Rare video footage of Titanic ship got viral on social media on its 25th anniversary
Titanic Ship Video: जब भी Titanic Ship का नाम लिया जाता है तो एक अलग सी खूबसूरती और दर्द उस मंज़र का आंखो के सामने आ जाता है जिसे उस जहाज़ पर सवार लोगो ने महसूस किया। टाइटैनिक जहाज़ की कहानी को जेम्स कैमरन ने 1997 में हिट फिल्म के साथ दुनिया को इससे रूबरू कराया था। लोगो का विचार इस फिल्म को देख कर काफी बदल गया था और लोगो ने इस कहानी को एक फिल्म के रूप में देख कर ही उस दर्द महसूस किया पर ये शायद कोई नई जानता है कि असल में टाइटैनिक की तबाही बेहद ख़ौफ़नाक थी। जहाज के डूबने के बाद से कई लोगों ने अटलांटिक महासागर के तल में लगभग 13,000 फीट की गहराई पर स्थित टाइटेनिक के मलबे को वापस लाने की कोशिश की है पर बहुत काम लोग इसमें कामयाब रहे। पर आपको बतादें कि आज भी कई वैज्ञानिक टाइटैनिक के मलबे की खोज में लगे हुए है और इसी दौरान इस शानदार यात्री जहाज का एक नया फुटेज दुनिया के सामने आया है, जिससे यह जानने में मदद मिलती है कि मलबे के बिगड़ने से दशकों पहले यह जहाज कैसा दिखता था।
Titanic की 25वीं वर्षगांठ पर जारी किया वीडियो
दरअसल,Titanic की 25वीं वर्षगांठ पर एक वीडियो जारी की गई जिसमे 1986 में रिकॉर्ड किए गए फुटेज को NowThis ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। यह क्लिप केट विंसलेट और लियोनार्डो डिकैप्रियो अभिनीत 1997 की फिल्म Titanic की 25वीं वर्षगांठ पर जारी की की गई है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैमरा मलबे के ऊपर पैन करता है और वहां जो नजर आता, उसे केवल डरावना ही कहा जा सकता है। वुड्स होल ओशनिक इंस्टीट्यूशन एक्सपेडिशन की अगुवाई करने वाले डॉ. रॉबर्ट बलार्ड ने भी पहली बार Titanic के सामने आने पर इसका जिक्र किया था और नौ महीने बाद फुटेज को कैच करने के लिए वापस समुद्र तल में गए।
टाइटैनिक का निर्माण
टाइटैनिक का निर्माण Belfast (Ireland) के Harland ओर Wolff शिपयार्ड में किया गया था और प्रतिद्वंदी Cunard Line के Lusitania और Mauretania के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में डिजाइन किया गया था। इसके डिजाइनरों में Lord Pirrie जो Harland & Wolff और White Star के संचालक थे, नौसेना आर्किटेक्ट Thomas Andrews जो Harland और Wolff के निर्माण प्रबंधक और डिजाइन विभाग के प्रमुख थे और Alexander Carlisle शिपयार्ड के प्रमुख रचयिता एवं जनरल मैनेजर सामिल थे। Alexander Carlisle की जिम्मेदारियो में साज-सजावट, उपकरण और सभी सामान्य व्यवस्था, जीवनरक्षक नौका को लटकाने के यंत्र की डिजाइन जैसे कार्यो का समावेश होता था। वह जहाज़ पर नौका लटकाने का यंत्र बनाने वाली कंपनी Welin Davit & Engineering Co. Ltd. के शेयरधारक बन गए थे। टाइटैनिक का निर्माण 31 मार्च 1909 को American J.P. Morgan और International Mercantile Marine Co. की लागत से शुरू हुआ। टाइटैनिक की पतवार का 31 मई 1911 को जलावतरण किया गया और उसके अगले वर्ष की यात्रा की तयारी की जाने लगी।
टाइटैनिक की कुल लम्बाई 882 फीट ओर 9 इंच (269.1 मीटर), ढलवें की चौड़ाई 92 फीट (28.0 मीटर), भार 46,328 टन (GRT) और पानी के स्तर से डेक तक की ऊंचाई 59 फीट (18 मीटर) थी। जहाज दो पारस्परिक जुड़े हुए चार सिलेंडर, triple-expansion steam engines और एक कम दबाव Parsons turbine (जो प्रोपेलर को घुमाते थे) से सुसज्जित था। टाइटैनिक में 29 boiler थे जो 159 कोयला संचालित भट्टियो से जुड़े हुए थे और जहाज को 23 समुद्री मील (43 km/h, 26 mph) की शीर्ष गति प्रदान करते थे। 62 फीट (19 मी) की उचाई की चार में से केवल तीन funnel कार्यात्मक थी। चौथी funnel, जो वेंटिलेशन के प्रयोजन हेतु इस्तेमाल की जाती थी, वह जहाज को अधिक प्रभावशाली रूप देने के लिए लगायी गयी थी। जहाज की कुल क्षमता यात्रियों और चालक दल के साथ 3549 थी।
टाइटैनिक के डूबने की वजह
टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण अत्यधिक गति से चलना था। टाइटैनिक के मालिक J. Bruce Ismay जे .ब्रूस इस्मे ने जहाज के कप्तान Edward Smith को जहाज को अत्यधिक गति से चलाने के लिए कहा था। 12 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक को 6 बर्फ की चट्टानों की चेतावनिया मिली थी। कप्तान को लगा की बर्फ की चट्टान (Ice Berg) आने पर जहाज मुड जाएगा। परन्तु बद्किस्मती से जहाज बहुत बड़ा था और राडार छोटा था। बर्फ की चट्टान आने पर वह अधिक गति के कारण समय पर नहीं मुड पाया और चट्टान से जा टकराया। जिससे जहाज के आगे के हिस्से में छेद हो गए और लगभग 11:40 p.m. पर वो डूबने लगा। तक़रीबन 2:20 a.m. पर वो पूरा समुन्द्र में समां गया। जिस सागर में वह डूबा था उसके पानी का तापमान -2℃ था जिसमें किसी साधारण इंसान को 20 मिनट से ज़्यादा जिन्दा रहना नामुमकिन था। इस हादसे में लगभग 1,500 से ज्यादा यात्रियों और जहाज कर्मियों की जान चली गई थी। दुनिया का ये सबसे बड़ा नुकसान माना गया था।